गीत बिबरण :
स्वर : सत्यराज आचार्य
शब्द : अशोक शेरचन
सङ्गीत : एलिस कार्की
चलचित्र : प्रकाश
।। शब्द ।।
जल वायु आकाश अग्नि माटो
एउटै हुन्छ हामी सबको चिता पुग्ने बाटो
चिता पुग्ने बाटो
बाल युवा वृद्ध कालो गोरो
रातै बग्छ जिउदो जीउमा रगतको धारो
रगतको धारो
मान्छे मान्छे एउटै चित्त
फेरि किन विभेद बिचित्र
सधैं किन विभेद बिचित्र
मान्छे मान्छे एउटै चित्त
फेरि किन विभेद बिचित्र
सधैं किन विभेद बिचित्र
पुर्ब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
सुशोभित यो भुमिमा
के धनी, गरिब, के उचो, निचो
कहाली लाग्दो भोकमा
कहाली लाग्दो भोकमा
जीव, जन्तु, प्राणी, नर, नारी
साझा घर हो अस्तित्व
यी बिसाउने चौतारी
बिसाउने चौतारी
मान्छे मान्छे एउटै चित्त
फेरि किन विभेद बिचित्र
सधैं किन विभेद बिचित्र
मान्छे मान्छे एउटै चित्त
फेरि किन विभेद बिचित्र
सधैं किन विभेद बिचित्र
शासन फेरिए, नियम फेरिए
फेरिए कयौं राजा
रैतीको सधैं दरिद्र बास,
त्यो झुटो सत्य कहाँ छ?
त्यो झुटो सत्य कहाँ छ?
ब्राम्हण के क्षेत्रीय बैश्य सुद्र
मस्तिष्क एउटै आधिन बंश
चेतनाको स्रोत
चेतनाको स्रोत
मान्छे मान्छे एउटै चित्त
फेरि किन विभेद बिचित्र
सधैं किन विभेद बिचित्र
मान्छे मान्छे एउटै चित्त
फेरि किन विभेद बिचित्र
सधैं किन विभेद बिचित्र
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